मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने पर लगी रोक हटाने की शिवराज सरकार ने अर्जी दी थी, जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राहत नहीं दी. ऐसे में कांग्रेस ने ओबीसी समुदाय को 27 फीसदी आरक्षण का हक दिलाने के लिए हाईकोर्ट में देश के बड़े वकीलों को उतारेगी. ऐसे में ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस-बीजेपी के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया.मध्य प्रदेश में ओबीसी समुदाय को अपने-अपने पाले में लाने की कवायद में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सक्रिय हो गई हैं सूबे में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने पर लगी रोक हटाने की शिवराज सरकार ने अर्जी दी थी, जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राहत नहीं दी. ऐसे में ओबीसी आरक्षण को लेकर कांग्रेस-बीजेपी के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया. बता दें कि मध्य प्रदेश की सत्ता में रहते हुए कमलनाथ सरकार ने ओबीसी समुदाय के आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी आरक्षण करने का फैसला किया था. सरकार के इस फैसले को छात्रा अशिता दुबे ने कोर्ट में याचिका लगा, जिस पर रोक लगा दी गई थी. इसके साथ ओबीसी वर्ग को पूर्व की तरह ही 14 प्रतिशत आरक्षण जारी रखने का 19 मार्च 2019 को अंतरिम आदेश दिया था.
एमपी में ओबीसी आरक्षण को लेकर लगातार मांग उठ रही है. ऐसे में शिवराज सरकार ने 27 फीसदी आरक्षण को बरकरार रखने के लिए जबलपुर हाईकोर्ट में अर्जी दिया था जिस पर एक सितंबर को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा था. इसके साथ ही मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने भी दलीलें दीं, पर रोक नहीं हटी.
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ओबीसी आरक्षण पर जारी सियासत के बीच अब कोर्ट में बड़े से बड़े वकील खड़े करने की कांग्रेस और बीजेपी में होड़ मच गई है. शिवराज सरकार ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को लेकर कई तरह के दावे करती रही है, लेकिन अब इस मुद्दे पर पूर्व मख्य मंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार के खिलाफ कमर कस ली है. कांग्रेस राज्य में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की पैरवी के लिए एडवोकेट इंद्रा जयसिंह और अभिषेक मनु सिंघवी को उतारने का फैसला किया है. ओबीसी आरक्षण की कोर्ट में पैर वी करने वाले अधिवक्ताओं का पूरा खर्च कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ उठाएंगे. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को दिल्ली में इंद्रा जयसिंह और अभिषेक मनु सिंघवी से मुलाकात की. इस दौरान 27 फीसदी ओबीसी वर्ग आरक्षण केस को लेकर दोनों वकीलों से उन्होंने चर्चा की है, जिसके बाद अब दोनों वकाली केस को लड़ने के लिए तैयार हैं.
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वहीं, एमपी सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वर्चुअली जुड़े. तुषार मेहता से मुख्यमंत्री ने खुद आग्रह किया था कि वे वर्चुअली सुनवाई से जुड़ें. ऐसे में उन्होंने सुनवाई के दौरान कई उदाहरण देकर बताया कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है. भूपेंद्र सिंह ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एडवोकेट जनरल पुरुषेंद्र कौरव ने सरकार का पक्ष पूरी गंभीरता से रखते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिले. भूपेंद्र सिंह ने कहा-कोर्ट ने 20 सितंबर की तारीख को अंतिम सुनवाई के रूप में निश्चित किया है. कोर्ट ने कहा हम याचिका के पक्ष और विपक्ष दोनों को अलग अलग सुनेंगे. उसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएंगी. ऐसे में 20 सितंबर को होने वाली सुनवाई में हम एक बार फिर सभी तथ्यों को हाईकोर्ट के सामने रखेंगे. शिवराज सरकार पूरी तरह से संकल्पित है और कोई कोर-कसर हम बाकी नहीं छोड़ेंगे.
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