मुलताई। जो हमें जीवन में प्राप्त है वही पर्याप्त है इस सोच को रखने वाला व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है यह बात राष्ट्रसंत ललितप्रभ जी ने मंगलवार को नगर के रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित सांवरिया लान में अपने दिव्य प्रवचन के दौरान उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कही। राष्ट्रसंत प्रसिद्ध प्रवचनकार ललितप्रभ जी ने नगर के सकल जैन समाज के तत्वाधान में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में कहा ईश्वर ने हमें जो दिया है वह किस्मत से ज्यादा दिया है किसी से तुलना मत करो शिकायत करने की आदत छोड़ो और जो मिला है, उसके लिए प्रभु का शुकराना अदा करने की आदत डालो, भगवान वही देता है जो हमारे भाग्य में होता है। कभी भी जीवन में किसी की विशेषता देखो कमी नहीं जिंदगी, जीने की कला सीख जाओगे तो जीवन स्वर्ग बन जाएगा।
राष्ट्रसंत ललितप्रभ जी ने कहा सुंदर चेहरा धन दो दिन तक अच्छा लगता है, लेकिन व्यक्ति का सुंदर स्वभाव जीवन भर अच्छा लगता है, रात में सोने से पहले एक परोपकार का काम जरूर करो परोपकार करते हो तो इससे बड़ा कोई पुण्य नहीं है। और किसी का दिल दुखाते हो तो इससे बड़ा कोई पाप नहीं है, सुबह उठकर योग करो और दिन भर लोगों का सहयोग करो। धन का केवल संग्रह मत करो बल्कि धन को परोपकार के लिए भी उपयोग में लाओ। उन्होंने कहा कि जीवन को सुखमय बनाने के लिए घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान करने और उन्हें प्रणाम करने का महत्व बताते हुए कहा कि प्रणाम से दुआ मिलती है जो व्यक्ति सुबह उठकर अपने माता-पिता के सामने घुटने टेक कर प्रणाम करता है उसे जीवन में कभी भी किसी के सामने झुकना नहीं पड़ेगा। प्रवचन के दौरान उपस्थित जनों को महाराज श्री ने अपने माता पिता को प्रतिदिन प्रणाम करने का संकल्प भी दिलाया। महाराज श्री ने कहा कि वर्तमान परिवेश में हम मोबाइल में फोरजी नेटवर्क की बात करते हैं जीवन में प्रभुजी गुरुजी पिताजी और माताजी मिलकर बना फोरजी नेटवर्क जिसके पास होगा उसका कोई बाल बांका नहीं कर सकता। महाराजश्री ने कथा के माध्यम से बताया कि जो व्यक्ति जीवन में सदैव प्रणाम करते रहता है और प्रभु गुरु माता पिता को प्रणाम करने से जो आशीर्वाद मिलता है उससे मृत्यु योग भी टल जाता है। महाराजश्री ने उपस्थित जनों को अपने बच्चों को संस्कारित करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि महान माता-पिता वह नहीं होते जो बच्चों को कार देते हैं बल्कि वह महान माता-पिता है जो अपने बच्चों को संस्कार देते हैं, संस्कार किसी माल में नहीं मिलते बल्कि अच्छे संस्कार घर और परिवार में मिलते हैं। प्रवचन के शुभारंभ अवसर पर डॉक्टर मुनि शांतिप्रिय सागर ने भी जीने की कला पर अपने सारगर्भित विचार रखे। मंगलवार सुबह 7:30 बजे के दरमियान राष्ट्र संत ललितप्रभ जी का पवित्र नगरी में नगर आगमन हुआ। बैतूल रोड पर सकल जैन समाज के सदस्यों ने संत ललितप्रभ जी, डॉक्टर मुनि शांतिप्रिय जी की अगवानी कर बाजे गाजे के साथ उन्हें श्री श्वेतांबर जैन मंदिर ले जाया गया। जिसके उपरांत सुबह 9 बजे से 11 बजे तक रेल्वे स्टेशन मार्ग पर स्थित सांवरिया लान में प्रवचन का कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सकल जैन समाज के महिला पुरुषों के साथ बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे।