नेशनल लोक अदालत का आयोजन
9 साल से अलग रह रहे पति-पत्नी एक हुए, 65 लाख रूपए के अवॉर्ड पारित
बैतूल। बैतूल में आयोजित नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायाधीश और अधिवक्ताओं की समझाइश के बाद नौ साल से अलग रह रहे पति-पत्नी एक हो गए। पत्नी मामूली पारिवारिक विवाद के बाद पति से अलग रह रही थी। उसे वापस बुलाने के लिए पति ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
बता दें कि बैतूल में आज (शनिवार को) 12 दंपति की समझाइश के बाद वापस गृहस्थी बस गई। इस कामयाबी के पीछे अधिवक्ताओं और न्यायधीशों की काउंसिलिंग की खास भूमिका रही। वहीं, जिसमें 65 लाख 35 हजार 633 राशि का अवॉर्ड पारित किया गया।
एक हुए योगेंद्र और ममता
साल 2015 में गौला के रहने वाले योगेंद्र का बारहवीं की ममता से विवाह हुआ था। 3 साल तक तो दोनों एक साथ रहे लेकिन फिर पारिवारिक मतभेद होना शुरू हो गए। पत्नी के कहीं आने-जाने से लेकर शुरू हुए विवाद छोटी-छोटी बातों पर बड़े होते गए। दोनों के विचार आपस में नहीं मिलते थे। उनके ईगो के आपस में टकराने की समस्या साथ रहने की सबसे बड़ी दिक्कत थी। यही वजह थी कि दोनों अलग हो गए। 9 साल से दोनों पति-पत्नी अलग रहने लगे थे। इस बीच पत्नी ममता ने पति के खिलाफ भरण पोषण का मामला बैतूल कोर्ट में दर्ज करवा दिया था। जबकि योगेंद्र अपनी पत्नी को वापस अपने साथ रखना चाहता था। उसने हिंदू विवाह कानून अधिनियम 1955 की धारा 9 के तहत उसे छोड़कर गई पत्नी को वापस बुलाने के लिए अदालत का सहारा लेने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। यह मामला अदालत में सुलझ नहीं पाया था।
इस बीच ममता ने अदालत में भरण पोषण के मामले में फैमिली कोर्ट ने योगेंद्र को 3000 रूपए मासिक राशि देने का आदेश कर दिए थे। खास बात यह है कि इस मामले में एक के बाद एक कई वकील भी बदलने पड़े। लेकिन मामले का कोई निपटारा नहीं हो पा रहा था। इस बीच ममता के पक्ष से अधिवक्ता हीरामन सूर्यवंशी और संजय शुक्ला जबकि योगेंद्र के पक्ष से अधिवक्ता भोजराज कुंभारे ने दोनों पक्षों की काउंसलिंग शुरू की। अदालत की तरफ से भी समझौते के लिए विशेष कोशिशें सामने आई। आज जब लोक अदालत में फैमिली कोर्ट के मामले सुन रहे जिला न्यायाधीश प्राणेश कुमार प्राण के सामने यह मामला पेश हुआ तो कुछ ही देर की समझाइश में नौ साल से वियोग झेल रहे पति पत्नी न केवल एक हो गए बल्कि साथ जाने और जीवन गुजारने पर राजी हो गए।
बच्चों के प्यार ने एकजुट किया परिवार
ग्राम कुजबा के रहने वाले पति ने अपनी पत्नी को साथ रखने के लिए अपर जिला न्यायाधीश अतुल राज भल्लवी के न्यायालय में याचिका पेश की थी। पत्नी लगभग एक साल से अपने 2 वर्ष के बेटे को साथ लेकर मायके तिरमहु रह रही थी। जबकि पति दो बेटियों को साथ लेकर ग्राम कुजबा में रह रहा था। दोनों के बीच एक वर्ष से विवाद चल रहा था। दोनों बेटियां मां से फोन पर बात करती थी। पति बेटे के प्यार के लिए परेशान रहता था। दादा-दादी पोते के लिए तड़पते थे। पति पत्नी साथ में रहने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे। दोनों के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर मतभेद थे।
न्यायालय में न्यायाधीश अतुल राज भलावी, राकेश कुमार सनोडीया, रीना पिपलिया पारिवारिक मामलों के जानकार वकील राजेंद्र उपाध्याय, वामन राव डोंगरे अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष हिरामन नागपुरे, सचिव दिनेश सोनी की समझाइस पर दोनों पति-पत्नी साथ-साथ जाने के लिए तैयार हुए और न्यायालय से खुशी-खुशी विदा हो गए। एक अन्य मामले में पति-पत्नी के मध्य छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद हो गया था। पत्नी लगभग चार माह से मायके में अलग रह रही थी। दोनों के मध्य अत्यधिक मतभेद हो गए थे। पत्नी साथ रहने को तैयार नहीं थी। लेकिन न्यायाधीशों की समझाइश के बाद दोनों साथ रहने के लिए तैयार हो गए। एक अन्य मामले में पत्नी ने पति के विरुद्ध भरण पोषण का दावा प्रस्तुत किया था। पत्नी को यह शिकायत थी कि पति शराब पीकर मारपीट करता है। न्यायाधीश राकेश कुमार सनोडीया के समझाने पर पति ने शराब छोड़ने का संकल्प लिया और अपनी पत्नी को साथ ले जाकर अच्छे से रखने के लिए न्यायालय में सहमति दी। राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन
नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला मुख्यालय जिला न्यायालय बैतूल, तहसील विधिक सेवा समिति सिविल न्यायालय आमला, भैंसदेही तथा मुलताई में किया गया। लोक अदालत में न्यायालय में लंबित एवं लोक अदालत में रखें गये 3698 प्रकरणों में से कुल 585 प्रकरणों का निराकरण किया गया। मोटर दुर्घटना क्षतिपूर्ति दावा के 49 प्रकरणों में राशि 1 करोड़ 67 लाख ,50 हजार रूपए का अवॉर्ड पारित किया गया। इसी प्रकार बैंक, नगर पालिका एवं विद्युत विभाग के 1141 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण किया गया। जिसमें 65 लाख 35 हजार 633 राशि का अवॉर्ड पारित किया गया।