अब निजी स्कूल संचालक मनमर्जी से नहीं वसूल सकेंगे फीस
साठ गाठ वाली दुकानों से पाठ्य सामग्री तथा गणवेश खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे
मुलताई। नगर सहित आंचलिक ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित निजी स्कूल संचालक अब पलकों पर दबाव बनाकर स्कूल संचालकों की साठ गाठ वाली दुकानों से पाठ्य सामग्री तथा गणवेश खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। वही मनमर्जी से फीस बढ़ाकर पालकी से अधिक रुपए भी नही वसूल कर सकेंगे। शिक्षा विभाग द्वारा मध्य प्रदेश राजपत्र में अधिसूचित उल्लेखित नियमो में स्कूल द्वारा जारी किए प्रावधानों में भिन्नता पाए जाने पर अभिभावक सीधे विकासखंड शिक्षा अधिकारी अथवा विकास खंड स्त्रोत समन्वयक से शिकायत कर सकेंगे।
उक्त जानकारी विकास खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई। जारी विज्ञप्ति में बताया कि निजी स्कूल संचालक अब मनमर्जी से फीस संरचना में बढ़ोत्तरी तब ही कर पाएंगे यदि उनके द्वारा पिछले शैक्षणिक सत्र की तुलना में 10 प्रतिशत या उससे कम है तो ही निजी विद्यालय फीस वृद्धि कर सकेंगे। यदि पिछले सत्र की फीस की तुलना में 10 प्रतिशत से अधिक किंतु 15 प्रतिशत से कम है तो जिला समिति प्रस्तावित फीस संरचना पर 45 कार्य दिवसों के भीतर निर्णय लेगी। इसके साथ ही निजी विद्यालय प्रबंधन को परिवहन सुविधाओं के संबंध में परिवहन विभाग तथा स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा समय समय पर जारी निर्देशों का पालन करना होगा। वहीं निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा फर्जी व डुप्लीकेट आईएसबीएन पाठ्य पुस्तकों को पाठ्यक्रम शामिल भी नही करा पाएंगे।
तीन दिन में देना होगा टीसी
पालक यदि अन्य संस्था में प्रवेश के लिये छात्र की टीसी प्राप्त करने के लिये आवेदन प्रस्तुत करता है तो अधिकतम 3 दिवस के भीतर टीसी प्रदान करना अनिवार्य है। यदि पालक की ओर से टीसी नहीं दिये जाने की शिकायत आती है तो उसका पूर्ण दायित्व संस्था का होगा। जिस छात्र को टीसी जारी की जा रही है।
उस टीसी में छात्र का पेन नंबर दर्ज करना अनिवार्य है और वह किस शाला में प्रवेश ले रहा है। उस शाला का नाम व डाईस कोड और उस संस्था का मोबाइल नंबर संस्था में रखे। समस्त निजी विद्यालय प्रबंधन उपरोक्त नियमों का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य किया गया है।
3 शैक्षणिक सत्रों तक गणवेश में नहीं किया जा सकेगा परिवर्तन
जारी विज्ञप्ति में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा यूनिफार्म को छोड़कर किसी भी पाठ्य सामग्री पर विद्यालय का नाम नहीं किया जाएगा। यदि विद्यालय प्रबंधन समिति गणवेश में कोई बदलाव किया जाता है तो वह आगामी 3 शैक्षणिक सत्रों तक यथावत लागू रहेगी। तीन वर्ष की अवधी के बाद ही गणवेश में परिवर्तन किया जा सकेगा।