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ग्रामीणों ने गर्भवती को कंधे पर बैठाकर नदी पार कराया
पुल न होने का दंश झेल रहे ग्रामीण; गांव तक नहीं पहुंचती एम्बुलेंस

बैतूल। जिले के आदिवासी अंचलों में सड़कों का अभाव और नदियों पर पुल-पुलिया का न होना आज भी मुसीबत का सबब बना हुआ है। इसकी समस्या को भीमपुर विकासखंड में देखा जा सकता है जाती है। ऐसा ही नजारा फिर एक बार सामने आया। जब पुल न होने से एम्बुलेंस के गांव तक न पहुंच पाने की वजह से ग्रामीणों को एक गर्भवती को कंधे पर लादकर नदी पार कराना पड़ा।
जिले के भीमपुर ब्लॉक के ग्राम भटबोरी निवासी समाय पति बबलू अखंडे को प्रसव पीड़ा हुई। गांव में आने-जाने के लिए रास्ता नहीं होने के कारण एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पाती। गांव में जाने-आने के लिए ताप्ती नदी पार करना पड़ता है।
जब महिला को प्रसव पीड़ा हुई, तो परिजनो ने गर्भवती महिला को कपड़े का झूला बनाकर उसमें बैठाया और कंधे पर लादकर कमर तक पानी से होते हुए नदी पार कराई। ग्रामीणों का कहना है कि रास्ता नहीं होने के कारण मजबूरी के कारण उन्हें नदी पार करते हुए आना-जाना पड़ता है।
सबसे ज्यादा समस्या तब होती है, जब किसी गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल तक पहुंचाना पड़ता है। नदी पार कराने के बाद महिला के परिजनों ने निजी एम्बुलेंस के माध्यम से प्रसव के लिए जिला अस्पताल पहुंचाया।
महिला को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं मिल पाई। महिला के परिजनों का कहना है कि उन्होंने कई बार एम्बुलेंस को कॉल किया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिल पाई। जोखिम भरा सफर तय कर गर्भवती को अस्पताल पहुंचाया। इस नजारे को जिसने भी देखा सब लोग हैरत में रह गए।
नदी पर नही है पुल ग्रामीणों का कहना है कि भीमपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत डोडाजाम के ग्राम भटबोरी जाने के लिए कोई सडक़ मार्ग नहीं है। गांव तक पहुंचने के लिए ताप्ती नदी को पार करना होता है।तब जाकर ग्रामीण गांव आना-जाना करते है। यहां वाहन भी नहीं जा पाते है। पैदल आना-जाना पड़ता है।
गांव में मोबाइल नेटवर्क की भी समस्या बनी हुई है। ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से नदी पर पुलिया बनाकर रास्ता बनाने की मांग की। हालांकि किसी ने भी ग्रामीणों की समस्या पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया।
नतीजा यह है कि आज भी ग्रामीण आने-जाने के लिए परेशान होते रहते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी तो उस समय होती है। जब बारिश का समय रहता है और नदी में बाढ़ रहती है। कई बार ग्रामीण बाढ़ के जोखिम को उठाते हुए भी आवाजाही करते रहते है।

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