बच्चे की गवाही से पलटा तलाक का मामला,प्रेम विवाह के 10 साल बाद पत्नी ने मांगा था डिवोर्स, कोर्ट ने खारिज किया

बैतूल। अपर जिला न्यायाधीश आमला कोर्ट ने एक अनूठा फैसला सुनाते हुए पति-पत्नी के बीच हुए तलाक को निरस्त कर दिया है। तलाक निरस्त करने में दोनों के बेटे की गवाही को आधार माना।
दरअसल, मामला 2013 का है, जब एक युवक और युवती ने प्रेम विवाह किया था। दंपती 6 महीने तक बड़े शहर में रहे और बाद में अपने गांव में बस गए। पत्नी ने तलाक की याचिका पेश करते समय याचिका में आरोप लगाया कि विवाह के कुछ समय बाद पति शराब पीने का आदी हो गया और पत्नी पर परिवार में कर्तव्य और दायित्व का निर्वहन नहीं करने और कुछ व्यक्तिगत आरोप लगाने लगा।
दूसरी तरफ, पति ने भी पत्नी को साथ रखने की याचिका दायर कर पत्नी पर झूठे व्यक्तिगत आरोप लगाने और सोशल मीडिया पर निजी जानकारी सार्वजनिक करने का आरोप लगाया। साथ ही दहेज प्रताड़ना की शिकायत भी की। सुनवाई के दौरान पति बीमार होने के कारण निर्धारित पेशी पर अदालत नहीं पहुंच पाया जिससे कोर्ट ने एकपक्षीय तलाक दे दिया था। पति के वकील राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि पति ने इस फैसले के खिलाफ एक पक्षीय तलाक को चुनौती दी और कहा कि वह पत्नी के साथ दांपत्य जीवन बिताना चाहता है। दंपती का एक बच्चा है जो पिता के साथ रहता है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया।
मामले में निर्णायक मोड़ तब आया जब बच्चे ने अदालत में कहा कि वह अपनी मां और पिता दोनों के साथ रहना चाहता है। बच्चे ने यह भी कहा कि मां ने काफी लंबे समय से मुलाकात नहीं की कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि प्रेम विवाह के तीन साल तक पत्नी ने दहेज का कोई आरोप नहीं लगाया था।
सोशल मीडिया के तथ्यों को भी कोर्ट में साबित नहीं किया यहां तक कि पुत्र किस कक्षा में पढ़ता है उसका जीवन कैसा चल रहा है इस पर कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया जबकि बच्चे ने कहा कि वह जब भी अपनी मां से मिलने जाता है तो उसे मिलने नहीं दिया जाता।
सोशल मीडिया के तथ्यों को भी कोर्ट में साबित नहीं किया यहां तक कि पुत्र किस कक्षा में पढ़ता है उसका जीवन कैसा चल रहा है इस पर कोई संतोष जनक जवाब नहीं दिया जबकि बच्चे ने कहा कि वह जब भी अपनी मां से मिलने जाता है तो उसे मिलने नहीं दिया जाता।