मध्य प्रदेश के ग्रामीणों ने रातोंरात ‘झील चोरी’ होने का दावा किया, गायब जल निकायों की जांच की मांग की

रीवा जिले की पुरवा मनीराम और अमिलिया पंचायतों में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार द्वारा निर्मित झीलें, जिनमें 24.94 लाख रुपये की लागत से बना अमृत सरोवर बांध भी शामिल है, रहस्यमय तरीके से गायब हो गई हैं। स्थानीय लोगों ने सार्वजनिक रूप से घोषणाएँ भी कीं कि जो कोई भी “लापता झीलों” को ढूंढ़कर लाएगा, उसे इनाम दिया जाएगा। ये झीलें सरकारी दस्तावेजों में दर्ज तो थीं, लेकिन ज़मीन पर मौजूद नहीं हैं। एक राजस्व रिपोर्ट के अनुसार, भूमि खंड संख्या 117 को अमृत सरोवर के लिए चिह्नित किया गया था, फिर भी आज वहाँ कोई झील मौजूद नहीं है। पास ही, खेत-तालाब योजना के तहत 1.28 लाख रुपये प्रति तालाब की दर से बनाए गए दो तालाब भी गायब हो गए हैं। ग्रामीणों का दावा है कि उन्हें यह विश्वास दिलाकर गुमराह किया गया था कि ये कार्यात्मक जल निकाय हैं, लेकिन जाँच से पता चला कि तालाब का भ्रम पैदा करने के लिए कृत्रिम रूप से मिट्टी को एक धारा में भर दिया गया था। निवासियों ने एक असामान्य पुलिस शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया, “कल रात हमने यहाँ मछली पकड़ी, आज सुबह झील गायब थी।” ज़िला कलेक्टर ने उस घटना की जाँच के आदेश दिए हैं जिसे स्थानीय लोग भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि झीलों की “चोरी” कहते हैं।