स्कूली छात्रों ने बनाई राम मंदिर की आकृति मानव श्रृंखला के जरिए उकेरा मंदिर, इसी स्कूल में पढ़े थे कोठारी बंधु
स्बैतूल। 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर हर तरफ उत्सव का माहौल है। ऐसे में हर शख्स राममय हो जाना चाहता है। बैतूल के भारत भारती आवासीय विद्यालय में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। यहां छात्रों ने मानव श्रृंखला के जरिए राम मंदिर की आकृति बनाकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में अपनी सहभागिता जताई है।
स्कूल के 300 छात्रों ने यहां सबसे पहले स्कूल ग्राउंड में निर्माणधीन राम मंदिर की आकृति उकेरी और फिर इसे मंदिर का रूप देते हुए मानव श्रृंखला बनाई। जिसमें मंदिर की पूरी आकृति को सफेद कपड़े पहने छात्रों ने आकार दिया। तो वही मंदिर के ध्वज को गेरूआ कपड़े पहने छात्रों ने श्रृंखला के जरिए उकेरा। यहां छात्र कई घंटे इस आकृति के साथ इसी तरह बने रहे। इस आकृति का ड्रोन से वीडियो भी बनाया गया। जिसका दृश्य मनोहारी नजर आता है।
विद्यालय प्रबंधन ने इसका एक वीडियो भी जारी किया है। विद्यालय के संचालक मोहन नागर ने बताया की विद्यार्थियों ने स्व प्रेरणा से मंदिर की प्रतिकृति मानव श्रृंखला के जरिए बनाने की इच्छा जाहिर की थी। जिसे लेकर वे कई दिनों से तैयारी और रिहर्सल कर रहे थे। उनके इस प्रयास से विद्यालय गौरांवित महसूस कर रहा है।
इसी स्कूल में पढ़े थे कोठारी बंधु
यह वही विद्यालय प्रांगण है जहां श्रीराम जन्मभूमि की कारसेवा में शहीद कोठारी बन्धु (शरद-राम) ने शिक्षा प्राप्त की थी। राम कुमार कोठारी 23 साल के थे और शरद 20 साल के थे, जब उन्होंने 1990 में अन्य कार सेवकों के साथ राम रथ यात्रा निकाली थी। तब कारसेवकों ने तत्कालीन बाबरी मस्जिद ढांचे के ऊपर भगवा झंडा फहराया था। राम कुमार कोठारी और शरद कुमार कोठारी उन कार सेवकों में शामिल थे, जो अक्टूबर 1990 में अयोध्या पहुंचे थे। वे कोलकाता में रहते थे, खबरों के मुताबिक उनकी टुकड़ी कोलकाता से चली और बनारस में रोक दी गई।
उन्होंने कोलापुर के लिए एक टैक्सी ली और वहां से 200 किमी पैदल चलकर 30 अक्टूबर को अयोध्या पहुंचे। तब कारसेवकों ने तत्कालीन बाबरी मस्जिद ढांचे के ऊपर भगवा झंडा फहराया था, वे उन लोगों में से थे जो इसके बाद हुई पुलिस फायरिंग के दौरान मारे गए। दोनों कार सेवक भारत भारती में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर चुके थे।