मनुष्य के भाग्य का निर्माण अपने सद्कर्मों से होता है,: प्रिती नागर
मुलताई।भाग्य का निर्माण अपने कर्मों से होता है, और कर्म का आधार व्यक्ति की सोच और समझ है। क्योंकि व्यक्ति जैसा सोचेगा वैसा करेगा और जैसा करेगा वैसे उसकी नियति और पहचान बनेगी। अच्छा सोचने वाला व्यक्ति सत्कर्म करके पहचान बनाएगा,तथा बुरा सोचने वाला व्यक्ति गुनाह करेगा, और वही गुनाह आगे चलकर उसको वापस मिलेंगे। उक्त उद्गार ग्राम ताईखेड़ा में चल रही भागवत कथा में प्रीति नागर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि क्रोध व्यक्ति के विनाश की शुरुआत है। क्रोध से व्यक्ति दूसरे का कम पर स्वयं का नुकसान ज्यादा करता है। इसलिए मन को बस में रखो। मन चंचल है जिसने मन को बस मे किया वह भगवान के सबसे ज्यादा करीब होगा। ग्राम ताईखेड़ा में भागवत ज्ञान सप्ताह के अंतर्गत भागवत कथा में उज्जैन से पधारी प्रीति जी नागर द्वारा अमृत प्रवचन देते हुए जन समूह को उपदेश दिया जा रहा है।
ग्रामीण श्री बलदेव धाकड़ ने बताया कि संगीतमय भागवत कथा 10 मार्च को कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुई, जो कि प्रतिदिन दोपहर 12 से 3:00 बजे तक भागवत कथा हो रही है। 16 मार्च दिन शनिवार को हवन पूजन एवं पूर्णाहुति तथा विशाल भंडारा प्रसादी केभागवत कथा का समापन किया जाएगा।