शासकीय आवासो की दुर्दशा , देख रेख में लापरवाही, बजट का इंतजार

नर्मदापुरम (सुरिंदर सिंह अरोरा) शासन , सरकार की हमेशा ऐसी मंशा रही है कि शासकीय अधिकारियों /कर्मचारियों को अपने पदस्थापना वाले स्थान ( शहर ) पर रहकर कार्य करना चाहिए। इसके लिए आवश्यकतानुसार आवास के निर्माण भी किए जा रहे हैं। बाबजूद इसके आज भी सम्भागीय स्तर पर कुछ अधिकारी अन्य शहरों से आना जाना कर रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि शासकीय आवासो की कमी। इस कमी की पूर्ति हो सकती है यदि आवास सम्बंधित एवं आवंटन विभाग जवाबदारी से काम करें।
सम्भागीय मुख्यालय पर शासकीय अधिकारियों के लिए बनाए गए कई आवास देख रेख के अभाव में जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच गए हैं। समय-समय पर सम्बंधित विभाग द्वारा रखरखाव न किए जाने से भूल भूत सुविधाएं खराब हो जाने पर अधिकांश अधिकारियों ने आवंटन में रूचि न लेते हुए रहने के लिए किराए के मकान लिए। जीर्ण शीर्ण होते जा रहे शासकीय आवासो की (शासकीय सम्पत्ति ) देखरेख के अभाव में असामाजिक तत्वों ने इसे अपना अड्डा बना लिया, शासकीय आवासो से भवन सामग्री भी गायब होने लगी।
क्षेत्र में अतिक्रमण मुहिम के दौरान अतिक्रमण अमले द्वारा सड़क किनारे रखी गुमटियों को हटाकर शासकीय आवासों के परिसर में रख दिया गया है।
सम्भागीय मुख्यालय पर शासन के विभिन्न विभागो के कार्यालयों के लिए करोड़ों रुपए की लागत से 3 विशालकाय बहुमंजिला भवन बनवाएं गए है, और पुराने कार्यालय भवनों में भी कुछ विभाग के कार्यालय लग रहे हैं बाबजूद इसके अधिकारी वर्ग के लिए बनाए गए आवास में शासकीय कार्यालय संचालित है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय भवन जिसे वर्ष 2019-20 में जीर्ण शीर्ण घोषित किया जा चुका है , आज भी उसी जर्जर भवन में संचालित है, इस जर्जर भवन में विभाग के लगभग 3 दर्जन से अधिक अधिकारी-कर्मचारी डर डर कर नौकरी कर रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी समीक्षा बैठक भी इसी जर्जर भवन में लेते है।
इनका कहना है ……
नर्मदापुरम संभाग के आयुक्त के जी तिवारी ने बताया कि शासकीय आवासो की वर्ग अनुसार सूची अपडेट करने को कहा गया है। शासकीय आवासो के रख-रखाव के लिए एस्टीमेट तैयार करवाया जा रहा है। आवासो के मेंटेनेंस के लिए बजट राशि आने के बाद सुधार कार्य होंगे।